विकास शुक्ल
महीने भर बाद भाजपा और एन सी पी ने मिलकर सरकार बना ली। शिवसेना के युवराज की जिद के चलते इस बार शिवसेना मात खा गई है। मात भी ऐसी खाए हैं कि शिवसेना के लिए इससे उबर पाना कठिन है।
कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन की नाकाम कोशिश करके शिवसेना ने अपने आधार मतदाताओं के लिए नकारात्मक संदेश दिया । परिणामतः अब सरकार में न होने पर उनके लिए सहानुभूति भी मतदाताओं में कम बची है।
उधर फडणवीस ने सरकार न बना पाने के बाद इस्तीफा देकर लोगों के बीच एक सकारात्मक संदेश दिया था। दूसरी तरफ शिवसेना ने कांग्रेस के साथ सरकार बनाने की बार बार कोशिश करके अपने मतदाताओं के लिए एक गलत संदेश दे दिया है।
शिवसेना को खासकर आदित्य ठाकरे को लग रहा था कि यह उनके लिए अपना मुख्यमंत्री बनने का सुनहरा अवसर है। इसी चाहत के चलते वो अपनी जिद में इतनी बड़ी मात खा गए है। महाराष्ट्र में महीने भर चली इस राजनीतिक उठापटक का परिणाम दूरगामी रहेगा। देखना दिलचस्प रहेगा आज देवेन्द्र के शपथ लेने के बाद आगे की राजनीतिक गतिविधियां क्या रहेगी। एनसीपी के साथ बीजेपी का गठबंधन भी बहुत आसान नहीं रहने वाला ।